@सोनू सालवी

आलीराजपुर। भगवान बिरसा मुंडा ने हमारी संस्कृति, धर्म और जल जंगल जमीन को बचाने के लिए अंग्रेजो से लड़ाई लड़ी, ब्रिटीश सरकार में धर्मांतरण का कार्य जोरो पर चल रहा था, भगवान बिरसा मुंडा जब स्कुल में पढ़ रहे थे उस दौरान अकाल पड़ा था, हमारे लोग भुखे रह रहे थे ब्रिटीश सरकार ने कहा कि अपना धर्म बदल लो तुम्हारा सरकारी लगान माफ कर दिया जाएगा, अंग्रेजो से लड़ाई लडऩी पड़ी लेकिन धर्म को नहीं बदला गया, इस तरह का प्रलोभन देकर हमारे भोले भाले लोगों का धंर्मातरण करने का प्रयास किया गया । लेकिन बिरसा मुंडा जैसे लोगों ने इसकी आवाज उठाई और अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए शहीद हो गए, धर्मांतरण का कार्य आज भी चल रहा है हमको इसकी आवाज उठाना चाहिए, हमारी युवा पीढ़ी को बिरसा मुंडा जैसे नायको का जीवन परिचय पढऩा चाहिए। इससे हमे पता चलेगा कि बिरसा मुंडा कौन थे।

यह बात स्थानीय टंकी ग्राउंड पर जनजाति विकास मंच द्वारा भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केबीनेट मंत्री नागरसिंह चौहान ने मुख्य अतिथि के रूप में कहीं। मंच पर मुख्य में वक्ता राजेन्द्र सस्तिया ने कहा कि हमारे देश में जनजाति नायकों का योगदान तथा हमारा गौरव शाली इतिहास में राणा पूंजा भील,छितु किराड़,भगवान बिरसा मुंडा जैसे महा पुरूषो ने जन्म लिया है ऐसे महापुरूषो का हम सभी को अध्ययन कर हमारी संस्कृति और परंपरा को बचाने के लिए काम करना होगा। मंत्री चौहान ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झाारखंड में एक आदिवासी परिवार में हुआ था और 9 जून 1900 को वे अंग्रेजो के विरूद्ध लड़ाई में शहीद हो गए।सामाजिक सुधार के चलते उन्हें भगवान कहा जाने लगाइस अवसर पर केबीनेट मंत्री नागरसिंह चौहान ने कहा ब्रिटीश सरकार में आदिवासी समाज के साथ शोषण होता था अनेक यातनाए दी जाती थी साथ ही धर्मांतरण के लिए परेशान किया जाता था इन यातनाओ से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजो के विरूद्ध लडाई लड़ी और अंग्रेजो के नाक में दम कर दिया, उनके द्वारा सामाजिक सुधार में दिए गए योगदान के चलते उन्हें भगवान बिरसा मुंडा कहा जाने लगा।

मंत्री चौहान ने कहा कि आदिवासी समाज वर्षाे से राम राम बोल रहे है लेकिन कुछ लोग आदिवासी समाज को भगवान राम से दूर करने का प्रयास कर रहे है, हमारा समाज बाबा देव को पुजता है, रक्षा बंधन, गणेश उत्सव, नवरात्रि और दिपावली जैसे पर्व मनाता है हम धरती माता को पुजते है लेकिन हमे इससे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है इससे हमे सचेत होना पड़ेगा और संगठित होकर ऐसे लोगों से मुकाबला करना होगा। । संचालन कारसिंह सोलंकी ने किया। आभार जनजाति विकास मंच के जिला प्रमुख गोविंद भयडिय़ा ने माना।कार्यक्रम के समापन के बाद प्रमुख मार्गो से भारत माता की जय, वंदे मातरम और भगवान बिरसा मुंडा अमर रहे के जयकारो के साथ यात्रा निकाली गई इसमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राए, युवाजन और अन्य लोग शामिल थे। यात्रा बस स्टैंड, एमजी रोड़, नीम चौक, बहारपुरा, झंडा चौक, रामदेव मंदिर होते हुए टंटया मामा प्रतिमा स्थल पहुंची जहां पर टंट्या मामा की मूर्ति पर माल्यार्पण कर यात्रा का समापन हुआ। यात्रा जिन जिन मार्गो से निकली वहां पर नगरवासियों द्वारा पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया ।

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