अलीराजपुर। विजयादशमी के पावन अवसर पर प्रतिवर्षानुसार छकतला उप खण्ड केप स्वयंसेवकों ने कदम ताल करते हुयें छकतला नगर के प्रमुख मार्गो से निकाला पथ संचलन मंच पर छकतला खण्ड के माननीय संघचालक दशरथसिंह मंडलोई व खण्ड कार्यवाह प्रवीण सोलिया, विभाग प्रचारक दिनेश तेजरा उपस्थित थे ।विभाग प्रचारक ने कहा केवल भूमि के किसी टुकड़े को तो राष्ट्र नहीं कहते हैं एक विचार एक आचार एक सभ्यता एवं एक परंपरा से जो लोग पुरातन काल से चले आए हैं उन्हीं लोगों से राष्ट्र बनता है इस देश को हमारे ही कारण हिंदुस्तान नाम दिया गया है। संघ को समझने के लिए संघ की प्रतिदिन लगने वाली शाखा में जाना होगा। बाहर से देखने पर कभी संघ समझ में नहीं आता है। संघ हमें सिखाता है, किसी मत पंथ में बैठना है हमें हिंदू के नाम पर खड़े होना जब तक यह हिंदुत्व का अस्तित्व है तब तक ये भारत का अस्तित्व रहेगा ।
हमारे समाज को मत्तांतरित करने का प्रयास कर रही है वह अभी सफल नहीं हो पाएगी क्योंकि हम भी लगातार प्रयास कर रहे हैं लेकिन उनके प्रयास भी नहीं हुए इसलिए हमको ऐसे सभी क्षेत्रों में हमारे सभी त्योहारों को मनाना चाहिए आग्रह पूर्वक मनाना चाहिए और दूसरी बात हम सभी संघ की शाखा में प्रतिदिन जायेगें, संघ में जब जाएंगे वहां के खेल को खेलेंगे मैं शिवाजी मैं हूं बंदा बैरागी यह कश्मीर किसका है भारत माता की जय के नारे लगते हमको प्रत्यक्ष रूप संघ को जानते हैं शाखा जाना भी चाहिए, लगाना चाहिए, अपने आंखों के सामने हम धारा 370 को हटाया हमने देखा, भगवान राम जी के मंदिर को बनते हुए हमने देखा है,जो बिछड़े उनको अपने साथ लेना उनके साथ अपने त्यौहार मनाना चाहिए। मैं अपने सारे त्यौहार मनाऊंगा उनके घर के परिवार में जाऊंगा! संघ व्यक्ति निर्माण से व्यवस्था परिवर्तन तक संघ कार्य के शताब्दी वर्ष में प्रत्येक स्वयसेवक को तृतीय चरण में समाज परिवर्तन के लिए अपना सम्पूर्ण प्रयत्न करना है।
समाज परिवर्तन का अनुभव कराने वाले पाच प्रमुख लक्षण है। जिसमें सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन, स्व का भाव, नागरिक कर्तव्यों का पालन और पर्यावरण संरक्षण। व्यक्ति स्तर पर स्व का बोध । स्वावलंबन, स्वतंत्रता, स्वराज्य, स्वदेशी स्वभाषा, स्वभुषा, “स्थ का बोध एवं स्वदेशी आधारित जीवन शैली अपने जीवन में स्थानीय वस्तुओं के उपयोग को महत्व देना।स्व भाषा का प्रयोग अपनी नबर प्लेट नेम प्लेट और हस्ताक्षर में मातृभाषा का प्रयोग करें।अपने स्व का बोध अपनी राष्ट्रीयता अपनी सनातन संस्कृति का अध्ययन अपने स्व का प्रकटीकरण अपने धार्मिक विचारों प्रतीको एव परम्पराओ का पालन करना और करवाना।पारिवारिक स्तर पर कुटुंब प्रबोधन । मूल्य आधारित परिवार रचना भोजन परिवार के सभी सदस्य एक समय का भोजन प्रतिदिन अथवा सप्ताह में एक दिन सामूहिक रुप से अवश्य करें।भजन प्रति सप्ताह अथवा पाक्षिक रूप से तिथि विशेष पर पूरा परिवार सामूहिक रूप से भजन कीर्तन का आयोजन करे।भ्रमण परिवार के सभी स्वजनों के साथ वर्ष में न्यूनतम एक बार धार्मिक अथवा पर्यटन स्थल पर भ्रमण हेतु अवश्य जाएं।भाषा अपने परिवार में आपस में अपनी मातृभाषा अथवा अपनी बोली में ही सवाद करे।वैश-भूषा अपने पारिवारिक आयोजनों में अपनी सांस्कृतिक विरासत के परिचय की दृष्टि से अपनी पारंपरिक वेश भूषा को महत्व देना चाहिए।गृहसभा अपने परिवार में नियमित रूप से गृह सभा का आयोजन करना चाहिए। जिसमे परिवार के सभी सदस्यों को अपने विचारों और प्रतिभा के प्रदर्शन का अवसर प्रदान किया जाए। देश के स्तर पर नागरिक कर्तव्यों की पालना ।नागरिक अनुशासन नागरिक कर्तव्यों के लिए प्रतिवद्ध समाजअधिकारों के लिए नहीं अपितु अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूकराष्ट्र में योग्य वातावरण निर्माण करने का प्रयत स्वतंत्रता बंधुत्व, एकात्मता समरसता के लिए जागरुक संकट की घड़ी में प्रत्येक प्रकार के बलिदान को प्रस्तुत, स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का पालनभारत की सप्रभुता एव अखंडता की रक्षा करना।जीवन के सभी क्षेत्र में उत्कृष्ट के प्रयास करना।
मातृशक्ति का सम्मान एव नागरिकों के साथ सहयोग का व्यवहार। समस्त संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान हिंसा करने से बचना,सामाजिक स्तर पर सामाजिक समरसता ।समरसता सस्कार अपने कुटुव मित्रों में वचित समूह के परिवार को जोडना परिवार सहित अपने घर पर बुलाना और उनके परिवार में जाना । अपना घर समरस घर हो सभी मेहमानों के लिए एक समान व्यवहार रखे अलग बर्तनो का उपयोग न हो।घर में सभी महापुरुपों के चित्र लगे हो। एक गाव एक जलाशय एक शमशान सहज भोज का आयोजन करना सार्वजनिक उत्सयो एव कार्यक्रमों में सहभागी हो।वैश्विक स्तर पर पर्यावरण अनुकूल जीवन। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस पंच परिवर्तन की प्रासंगिकता हमें जाननी चाहिए।पर्यावरण संरक्षण आधारित जीवन प्रणाली स्वयंसेवक का घर हरित घर पानी जलसरक्षण, वाटर हार्वेस्टिंग पेयजल का अपव्यय रोकना, घर का पानी घर में उपयोग करनाप्लास्टिक प्लास्टिक मुक्त घर प्लास्टिक मुक्त कार्यक्रम, प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली का व्यक्तिगतसंकल्प इकोनिक्स निर्माण करनापेड़ पौधे पौधारोपण कार्यक्रमो को चलाना, वृक्षों का संरक्षण,पक्षी पक्षी के लिए दाना पानी रखना।पक्षियों के लिए घौसला बनानानिजी एवं सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता रखना।जैविक कृषि को बढावा देना।यह जानकारी उप खण्ड कार्यवाह प्रकाश सस्तिया ने दी।