अलीराजपुर । ग्राम सोण्डवा, औझड, उमराली, दरकली, अठावा, छोटी वेगलगांव में भ्रमण कर फसल स्थिति काअवलोकन किया गया। भ्रमण के दौरान ग्राम उमराली के किसान पारला पिता ढोकलिया के खेत में सोयाबीन फसल प्रदर्शन की नवीन किस्म RVS 2001-04 का अवलोकन कर किसानों को नवीन किस्म के बीजो को बुवाई हेतु अगले 03 वर्षों तक उपयोग करने एवं बीज तैयार करने की सलाह दी गई। ग्राम अठावा के किसान गुमान पिता भेरू के खेत में सोयाबीन फसल प्रदर्शन एवं ग्राम छोटी वेगलगांव के किसान बहादुर पिता पुना के खेत में उड़द फसल की नवीन किस्म IPU 13-01 का अवलोकन कर किसानों को सलाह दी गई की ये किस्म पीला मौजेक रोधी है इस किस्म को अधिक-अधिक किसानों के यहा फैलाना है। इसी प्रकार ग्राम वेगलगांव के कृषक श्री झंझाड़िया के खेत में मूंगफली की नवीन किस्म के फसल प्रदर्शन का अवलोकन किया गया। उप संचालक कृषि ने किसान भाइयों से अपील की वे लगातार वर्षा होने पर निचली भूमि में जल भराव होने की स्थिति निर्मित हो जाती है। लगातार खेत में जलभराव होने पर फसल सड़ने लगती है। ऐसी स्थिति में खेतों की मेढ़ों से अतिरिक्त पानी की निकास करने की सलाह दी गई।उड़द एवं सोयाबीन फसलों में पीला मोजेक रोग जो सफेद मक्खी द्वारा फैलता है। जिसका नियंत्रण करने से यह रोग नहीं फैल जाता है।, सफेद मक्खी की रोकथाम के बीज उपचार करना चाहिए पीले पौधे जैसे ही दिखाई पड़े, उन्हें उखाड़कर नष्ट करना चाहिये, खेतों को हमेशा साफ, एवं खरपतवार रहित रखना चाहिये। रोग नियंत्रण हेतु खडी फसल में 35 दिन बाद की अवस्था पर थायोमेथोक्जाम 25 डब्ल्यू जी 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। या इमिडाक्लोरोप्रिड़ 17.8 एस.एल. दवा 600 मिली./हेक्टेयर का छिड़काव बोनी के 35 दिन पर करें। लाभकारी अंतवर्ती फसल अरहर, मक्का ज्वार आदि का उपयोग करें। अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करने की सलाह दी गई। भ्रमण के दौरान उप संचालक कृषि के साथ क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी दिलीप तोमर, मड़िया भूरिया करण डावर एवं क्षेत्र के किसान मौजूद थे। उक्त जानकारी उप संचालक कृषि विभाग द्वारा दी गई ।