@सोनू सालवी

धार। 01 अप्रैल 2025: आज देशभर में नए शिक्षा सत्र की शुरुआत के साथ ही मध्य प्रदेश के धार जिले के डही क्षेत्र स्थित अतरसुमा गांव में एक प्रेरणादायक और हृदयस्पर्शी आयोजन ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने और ग्रामीण बच्चों के सपनों को उड़ान देने के उद्देश्य से सुमन फाउंडेशन इंदौर, बामनिया परिवार और गांव के सम्मानित वरिष्ठजनों ने एकजुट होकर 50 से अधिक बच्चों को शिक्षण सामग्री वितरित की। यह पहल शिक्षा के महत्व को उजागर करने के साथ-साथ सामुदायिक एकता की अनुपम मिसाल बन गई।

गांव के 80 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक श्री कमलसिंह सिंह बामनिया ने कहा, “मैंने अपने जीवन में हमेशा शिक्षा को महत्व दिया है। मैंने कक्षा 6 तक अध्ययन किया और अपने बच्चों की शिक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी। मेरे परिवार में 15 लोग शासकीय सेवा में हैं।” गांव के प्रख्यात शिक्षाविद् प्रोफेसर डॉ. के.एस. बामनिया ने गर्व से कहा, “हमारा संकल्प है कि अतरसुमा का हर बच्चा शिक्षा के प्रकाश से रोशन हो। आने वाले दिनों में हम बुनियादी शिक्षा को हर घर तक पहुंचाने के लिए और भी प्रभावी कदम उठाएंगे।” सेंट्रल एक्साइज अधिकारी बी.एस. बामनिया ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा, “शिक्षा वह नींव है, जो समाज को मजबूत बनाती है।

यह आयोजन बच्चों के मन में सीखने की ललक जगा रहा है। हम सब मिलकर इस नेक काम को आगे बढ़ाएंगे।” शिक्षक हेमराज मुजाल्दा ने भावुक होकर कहा, “ये बच्चे हमारे भविष्य हैं। इस तरह के आयोजन उन्हें सही दिशा दिखाते हैं। हमें हर बच्चे तक शिक्षा पहुंचाने की जिम्मेदारी निभानी होगी।” शिक्षक मंगल मंडलोई ने जोश के साथ बताया, “शिक्षा के बिना तरक्की अधूरी है। यह कार्यक्रम बच्चों में जिज्ञासा और आत्मविश्वास जगाने का एक शानदार प्रयास है।” शिक्षिका सोलंकी मैडम ने मुस्कुराते हुए कहा, “बच्चों के चेहरों पर खुशी और किताबों के प्रति उत्साह देखकर दिल को सुकून मिलता है। यह पहल उनके सुनहरे भविष्य की राह आसान करेगी।” शिक्षक मुजाल्दा सर ने गंभीरता से कहा, “शिक्षा हर बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार है। इस आयोजन ने साबित कर दिया कि एकजुट होकर हम बड़े बदलाव ला सकते हैं।” मेहताब बामनिया ने कहा, “यह आयोजन हमारे गांव के बच्चों के लिए एक नई शुरुआत है।

हम सबको मिलकर शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी मजबूत और सशक्त बने।” डोंगर बामनिया ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “इस प्रयास की मैं सराहना करता हूं और आगे भी जब भी मेरी आवश्यकता होगी, इन नन्हे-मुन्नों की शिक्षा के लिए जुड़कर गर्व महसूस करूंगा।” भूपेंद्र बामनिया ने दृढ़ संकल्प के साथ कहा, “हमारा लक्ष्य है कि आने वाले समय में ऐसे प्रयास और बड़े स्तर पर हों, ताकि हमारे बच्चे शिक्षा के बल पर समाज और देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाएं।” पूर्व सरपंच सूरसिंह बामनिया ने गर्व से कहा, “सुमन फाउंडेशन और सभी सहयोगियों का यह प्रयास अनुकरणीय है।

हम सुमन फाउंडेशन इंदौर के साथ मिलकर नवोदय, एकलव्य, कन्या शिक्षा परिसर, सैनिक स्कूल और बुनियादी शिक्षा मुफ्त उपलब्ध करा रहे हैं। इस साल नवोदय में 20 से अधिक बच्चों का चयन हमारी मेहनत का सबूत है।” शिखर एकेडमी इंदौर के अनिल रावत ने प्रेरित करते हुए कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के लिए यह उत्साह देखकर खुशी होती है। हम भी इस तरह के प्रयासों को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” वर्तमान सरपंच राकेश सोलंकी ने गर्व के साथ कहा, “यह आयोजन हमारे गांव की शान है। सुमन फाउंडेशन और सहयोगियों की यह पहल बच्चों के लिए एक नई उम्मीद की किरण लेकर आई है।

” इस आयोजन में मेहताब बामनिया, बोंदर बामनिया, राहुल बामनिया, जितेंद्र बामनिया, डोंगर बामनिया, राकेश बामनिया, इंदरसिंह बामनिया, केशरसिंह बामनिया, जोरसिंह बामनिया, रायसिंह बामनिया, राजेश बामनिया, प्रताप बामनिया,भगत बामनिया, ओंकार सिंह बामनिया, अमनसिंह बामनिया, मुकेश डोडवा, मोहन डोडवा, जितेंद्र भावसार, दिनेश डोडवा, कालू डोडवा, मुकाम बामनिया, चंदर बामनिया, भारत बामनिया, करण बामनिया, अखिलेश बामनिया, कमलेश बामनिया, दक्ष बामनिया, मगन सोलंकी, मलसिंह बामनिया, मलसिंह सोलंकी, पदम सोलंकी, अंतर सोलंकी, पूर्व सरपंच प्रताप मुजाल्दा, सुनील सोलंकी, बिशन सोलंकी, प्रताप मंडलोई, मेहताब मंडलोई,

पवन मंडलोई, मनीष जमरा, महेश लाहौर, मनीष मंडलोई, गुमान कनासिया, दिलीप जमरा, मुकेश जमरा, भेरूसिंह भिड़े, भंगड़ा सोलंकी ,कनसिंह बाबा,भावसिंह डोडवा, बोंदरसिंह मंडलोई, हेमंतसिंह मंडलोई,मालसिंह मेंबर, उदयसिंह अलावा, चमारिया सोलंकी, सिकदार सोलंकी, चंपालाल तड़वाल, सूरज तड़वाल, रवि तड़वाल, राजेश तड़वाल, राहुल डावर,भूपेन्द्र पटेल, विजय जामोद, जितेंद्र जामोद, गिलदार लाहौर, रमेश लाहौर,प्रताप जमरा, गोविंद मंडलोई, सरदार मंडलोई, रवि जमरा, गंभीर सोलंकी, विक्रम सोलंकी, संजय सोलंकी, विजय सोलंकी, मकराम चौहान, मधु कनासिया (मंत्री), भुवान कनासिया, सुनील कनासिया, करम बघेल, राकेश मुजाल्दा, गुडु मुजाल्दा, अमन मुजाल्दा, प्रवीण मुजाल्दा, सुरेश मुजाल्दा, सरदार मुजाल्दा, भारत मुजाल्दा, चमारिया डावर, अरुण मुजाल्दा, जयराम मुजाल्दा, प्रकाश सोलंकी, बहादुर सोलंकी, विकास मंडलोई, विकास सोलंकी, श्रीमती अनुबाई बामनिया, श्रीमती ललिता चौहान, लक्ष्मण मुजाल्दा, डॉ दिनेश मुजाल्दा, भूपेंद्र लाहौर,

राकेश बघेल, मुकेश बघेल, कालू डोडवा, जुवान सिंह डोडवा, कैलाश देवड़ा, कालू देवड़ा, थानसिंह अलावा, बुदेसिंह अलावा, सुरेश चौहान, गजेंद्र सोलंकी,श्रीमती रंजना बामनिया, श्रीमती मीरा बामनिया, श्रीमती भूरीबाई बामनिया, कुसुम बामनिया, रेलम तड़वाल, श्रीमती कला मुजाल्दा सहित गांव के कई गणमान्य लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह आयोजन शिक्षा के प्रति एक नई सोच और सामुदायिक सहभागिता का प्रतीक बन गया। यह नन्हे बच्चों के लिए नई उम्मीदों का द्वार खोलता है और भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलावों का वादा करता है, जो इसे एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बनाता है।



